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इरोटिक

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मोबाईल में ग्रेट ग्रैण्ड मस्ती फिल्म में षाइनी मेड का सीन देखता हुआ मोन्टी मन ही मन गुदगुदा रहा था और एक्साईटेड होते हुए सोचता है। अगर ऐसी मेड मेरे पास भी होती तो क्या मजा होता! इंस्टा, फेसबुक, व्हाटस

   आपने पिछले भाग में देखा     सुलोचना - हुह ... शायद तुम भूल रहे हो कि तुमने मुझे कब का अपने रेस्टोरेंट निकाल चुके हो । अब हमारे बीच कोई बॉस और इम्प्लोई का रिश्ता नहीं रहा ।

गीत  बरसती हुई कायनात हो , घनी अंधेरी रात हो  ऐसे में हम तुम दोनों साथ हों, तो कोई बात बने  बादल से छम छम शराब बरसे  अंग अंग से नशीला शबाब छलके  इश्क का नशा चढ रहा हलके हलके&n

काजल के पापा राजेश अपनी पत्नी सीमा को एक लड़के का फोटो दिखाते हुए बोले "आर्यन है ये । नामी गिरामी उद्योगपति मुंजाल साहब का बेटा । कितना स्मार्ट है ? इसका रिश्ता आया है काजल के लिए ।  बोलो क्या कह

गीत : जबसे तुमसे मुहब्बत हम करने लगे  जबसे तुमसे मुहब्बत हम करने लगे  खूबसूरत से अरमान सजने लगे  बेकरारी में हद से गुजरने लगे  अनगिनत सपने आंखों में पलने लगे  जबसे तुमसे मुहब्

जबसे उनसे आंखें लड़ी हैं , बिन पिए कुछ ऐसी चढी है  जलती हुई जेठ की दुपहरी लगती सावन की सी झड़ी है  धड़कनें इस कदर बढी हैं मुहब्बत की नई दासतां गढी है  ऐसा लगता है कि जिंद

जाने क्या बात है कि नींद नहीं आती  एक तेरी याद है जो कभी नहीं जाती  ख्वाबों में सजती हैं बस तेरी महफिलें  एक तू है जो कभी मिलने नहीं आती  अश्कों ने भी अब  साथ छोड़ दिया है&nbs

तरनपुर कस्बे की कहानी   ( प्रथम क़िश्त )आज के बिलासपुर शहर से लगभग 30 किमी दूर एक बड़ा सा कस्बा था तरनपुर । आज से कुछ सौ साल पूर्व यह कस्बा इस क्षेत्र का एक बड़ा व्यापारिक केन्द्र था ।पुराने लो

थानेदार विनय रवीश से पूछताछ करता है कि वह और आशना कब से "रिलेशनशिप" में थे और अब वह आशना से अलग क्यों हो गया ? रवीश बताता है कि जब आशना कक्षा 10 में थी तब वह कक्षा 12 में था । स्कूल में ही मुलाकात हुई

तरुण की कार दुर्घटना के बाद.....हेज़ल टूट चुकी थी ,उसे लग रहा था कि  तरुण की मौत की वजह वो है ।।   तरुण की मौत के बाद....अविनाश ने उसका ख्याल रखना शुरु किया ,विवाह तो दोनों का हो ही चुका था म

नेकी कर और दरिया में डाल ( कहानी  अंतिम क़िश्त) उमरे इंसपेक्टर के पास सिर्फ़ कृष्णा सिपाही के बयान के अलावा ऐसा कोई और सबूत नहीं था। जिससे सिद्ध किया जा सके कि सारा पैसा कोतवाली थाने में जमा क

नेकी कर और दरिया में डाल ( कहानी दूसरी क़िश्त )इंन्सपेक्टर गौतम से यह सुनकर मोहन नगर थाने का इंचार्ज आश्चर्य चकित रह गया । उसने तीनों सिपाहियों से इस बात की तसदीक करना चाहा । तो उसका संपर्क सिर्फ़ उदयभा

नेकी कर और दरिया में डाल ( कहानी प्रथम क़िश्त )रात के दस बज चुके थे । रोमनाथ एक सवारी को पुलगांव में उनके घर छोड़कर बैगा पारा स्थितअपने घर लौट रहा था । जैसे ही वह गंजपारा चौक पहुंचा सड़क किनारे खड़े एक श्

पैरोडी तर्ज : क्या से क्या हो गया बेवफा तेरे प्यार  में क्या से क्या हो गया दिलरुबा तेरे प्यार  में सोचा क्या और क्या हुआ महबूबा इकरार में । वो प्यार जिसपे फिदा हुए थे फन

इन सांसों पर, धड़कनों पर सिर्फ तुम्हारा अधिकार है तुम्हारे होने से जज्बातों को लग जाते पंख बेशुमार है तुम्हारी एक मुस्कान मदमस्त भोर सी प्यारी लगती है बड़ी बड़ी आंखों से बरसता छमछम सावन

डॉक्टर तरू, एक जानी मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ । उसने एम. सी. एच किया था और वह एक सुपर स्पेशलिस्ट थी । बहुत थोड़े से समय में ही उसने "इनफर्टिलिटी" विषय में महारथ हासिल कर ली थी । मेडिकल के पेशे में बहुत

तरू को अब पता चल गया था कि आनंद के दिमाग में मेघना बैठी हुईं थी, उस समय । उस समय क्या , वह तो अभी भी बैठी हुई है । जब तक आनंद के दिमाग से वह बाहर नहीं निकलेगी , वह ऑपरेशन नहीं कर पायेगा । क्या करे वह

ये आँखें बिल्कुल ऐसी ही थीं जैसे अंधेरी रात में मोटर कार की हेडलाइट्स जिनको आदमी सब से पहले देखता है। आप ये न समझिएगा कि वो बहुत ख़ूबसूरत आँखें थीं, हरगिज़ नहीं। मैं ख़ूबसूरती और बदसूरती में तमीज़ क

ज़हीर जब थर्ड ईयर में दाख़िल हुआ तो उसने महसूस किया कि उसे इश्क़ हो गया है और इश्क़ भी बहुत अशद क़िस्म का जिसमें अक्सर इंसान अपनी जान से भी हाथ धो बैठता है। वो कॉलिज से ख़ुश ख़ुश वापस आया कि थर्ड

जावेद मसऊद से मेरा इतना गहरा दोस्ताना था कि मैं एक क़दम भी उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ उठा नहीं सकता था। वो मुझ पर निसार था मैं उस पर। हम हर रोज़ क़रीब-क़रीब दस-बारह घंटे साथ साथ रहते। वो अपने रिश्तेदारों स

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