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❤️लव फॉर रेंट ( मेरी सुलोचना )👁️ भाग -6

14 अक्टूबर 2022

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   आपने पिछले भाग में देखा


     सुलोचना - हुह ... शायद तुम भूल रहे हो कि तुमने मुझे कब का अपने रेस्टोरेंट निकाल चुके हो । अब हमारे बीच कोई बॉस और इम्प्लोई का रिश्ता नहीं रहा । ये कह कर सुलोचना वहा से जाने लगी । तभी उसके दिमाग में कुछ खुरापात सुझा और वो चलते - चलते रुक गयी ।

      अब आगे ....

       सुलोचना वापस आरव के पास आई और बोली - तुम मुझे उस लड़के के साथ देखकर जेलेस तो नहीं हो रहे हो । फिर अपने मुंह पर हाथ रखते हुए बोली - हो ...🤭 कहीं तुम मुझे पसंद तो नहीं करने लग गए ।🤔 आरव हूं ह .. जेलेस में और उस लड़के से 😕 और क्या कहीं तुम कि मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूं । पसंद माय फूट ..! भला मैं तुम्हें क्यों पसंद करने लगा । मेरे इतने भी बुरे दिन नहीं आए और एक बात मुझे समझ नहीं आती कि तुम हमेशा अपनी बातों को इतनी ओवर कन्फीडेंस के साथ क्यूं कहती हो । कहां से लाती हो तुम इतनी ओवर कन्फिडेंस ? हुम्म.. । तुम ये गलत - फहमी मत पालना की मै तुम्हें कभी पसंद भी करुगां । समझी । जब देखो चपड़ - चपड़ - चें - चें किये रहती हो । कभी - कभी मैं सोचता हूँ कि क्या होगा उस लड़के का जिससे तुम्हारी शादी होगी । बेचारा पूरी जिंदगी तुम्हें झेलेगा ।
सुलोचना अपने बालो को पीछे झटके हुए कही - वो बेचारा नहीं ! दुनियां का सबसे खुशकिस्मत लड़का होगा वो । जिससे मेरी शादी होगी । समझे ! खुद को समझदार समझने वाले समझदारी की पोटली । तुम अपना सोचो कि जिस लड़की की शादी तुम जैसे नकचड़े , कड़वे करेले से होगी तो उस बेचारी का क्या होगा ।🙃
     आरव अपना दांत पिसते हुए कहा 😬- तुम .. तुम हो नकचड़ी , कड़वी करेली ।
    
   
       चीफ सब्जियां लेकर मंडी से बाहर आए तो देखें की आरव और सुलोचना आपस में तू - तू मैं - मै कर के झगड़ रहे थे । चीफ जल्दी - जल्दी दोनों के पास जा रहे थे और खुद से ही बोले जा रहे थे । अरे आरव बेटा ये क्या कर दिया । मैं तो तुम्हें उससे माँफी मांग कर वापस लाने को कहा था । उसके बीना कोई भी काम समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है । तुम उसे वापस लाने के बजाय और दूर भेज रहे हो । चिफ वहां पहुंच कर - अरे .. अरे .. ये क्या तुम दोनों आपस में छोटे बच्चों की तरह झगड़ रहे हो । शांत हो जाओ । देखो सारे लोग तुम दोनों को ही देख रहे हैं । चीफ के कहने पर दोनों झगड़ना बंद कर देते हैं और अपने आस - पास देखे तब पता चला की सच में उन्हें सारे लोग घूर रहे थे । कुछ औरते तो आपस में बाते कर रही थी देखो तो दोनों कैसे एक पति - पत्नी की तरह लड़ रहे हैं आपस में । लेकिन झगड़ते वक्त भी दोनों कितने अच्छे लग रहे हैं । जरूर ये दोनों पति - पत्नी ही होंगे । देख कर तो यही लग रहा है । भगवान दोनों की जोड़ी बनायें रखे । और अपना दोनों हाथ जोड़ दी🙏🏻
       
       आरव को बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी । क्यूंकि सारे लोगों की नजर उन - दोनों पर ही थी । आरव सुलोचना को घूर कर देखते हुए कहा - ये सब तुम्हारी बजह से हुआ । ना तुम उस चोमू के साथ होती और ना मैं यहां आया होता ।
       सुलोचना - ओ ..हो .. इसमें मेरी क्या गलती है । मैंने तुम्हें इनविटेशन कार्ड देकर बुलाया था क्या कि आओ समझदारी की पोटली ? मेरे साथ कोई भी हो । तुम्हें क्या है उससे ? तुम अपने काम से मतलब रखो । मेरी लाइफ में अपना नाक मत घुसाया करो समझे । बड़ा आया देखने मेरे साथ कौन घूम रहा है । हुह ...
  दोनों एक - दूसरे को खा जाने वाले नजरो से घूर रहे थे ।
 चीफ आरव का हाथ पकड़कर - बस भी कर अब दोनों । चलो !
      सुलोचना आरव को जाते देख कर पीछे आवाज लगाई - अकेले में सोचना कभी यही कि तुम मुझे पसंद करने लगे हो ।
     आरव पीछे मुड़ कर बोला - कभी तो मुह बंद कर लिया करो अपना । गलत फहमी की दुकान ।🤪 । बाय👋🏻 फीर मिलेंगे । 
      सुलोचना अपना पैर कटकर बोली हुह ... समझता क्या है खुद को । और - और कैसे बेशर्मों की तरह बोल रहा था । ( अपना मुह बिगाड़ते हुए बोली ) बाय फीर मिलेंगे ।


क्रमशः ...
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रचनाएँ
❤️कसक प्यार की( मेरी सुलोचना )👁️
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ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है । इस कहानी का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या समूह को ठेस पहुंचाना नहीं है ।       आरव एक रेस्टोरेंट का मालिक है । आरव बाहर से दिखने में अकड़ू पर अंदर से मोम की तरह नरम दिल और सुलझा हुआ व्यक्ति है । वो किसी की भी मदद करने में पीछे नहीं रहता । चाहे वो इंसान गलत हो या सही । वो ये जाने बगैर ही मदद कर देता है ।  सुलोचना उस रेस्टोरेंट की वर्कर है ।सुलोचना  झल्ली समझदार और एक मेहनती लड़की है  । रेहान सुलोचना का दोस्त और उसकी जान है । अद्धिक आरव का बचपन का दोस्त और  पार्टनर है । उन दोनों  में सगे भाईयों जैसा प्यार  हैं । आरव सूलोचना का हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए रेस्टोरेंट के बाहर ले गया । आरव गुस्सा से आंख लाल किए सूलोचना को बाजू से पकड़कर एक एक शब्द पर जोर दे कर पूछ रहा था । तुम समझती क्या हो अपने आप को ? तुम कौन हो मेरी ? दोस्त या फिर गर्लफ्रेंड क्या रिश्ता है हमारा ? जब कोई रिश्ता ही नहीं है तो तुम मेरे काम में टांग मत  अड़ाया करो । लालची हो तुम । तुम मेरे पैसे लेकर रख लेती हो ।  कभी मुझे वापस किया तुमने । कभी नहीं । तुम सोची कि मैं तुम से पैसे मांगूंगा  नहीं और  तुम  मेरे पैसे लेकर अमीर बनने का सोचने लगी होगी । है ना । ओ .. अच्छा अब समझा कहीं तुम मुझे जो ज्ञान बाटती फिरती हो ,इसे मत दो उसे मत दो कहीं उसका किराया तो नहीं लेती हो । यह भी हो सकता है । ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ इतने इल्ज़ाम और बेइज्जती के बाद क्या सुलोचना आरव को सही गलत का फर्क समझायेगी ? क्या सुलोचना साथ देगी आरव का ? ये जानने के लिए इस कहानी को पढ़िये । ❤️ रितिका सिंह✍🏻
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